नज़ीर की सूफ़ियाना शा’इरी – Amir Khusrau, Nizamuddin Auliya, Sufi Qawwali, Sufi Kalam

’इल्म-ए-तसव्वुफ़ जिसकी निस्बत कहा जाता है, बरा-ए-शे’र गुफ़्तन ख़ूब अस्त’ –मौलाना अलताफ़ हुसैन हाली “यादगार-ए-ग़ालिब” उर्दू शा’इरी की इब्तिदा में

हज़रत शाह वजीहुद्दीन ‘अलवी गुजराती-मौलाना सय्यद अबू ज़फ़र नदवी (मुदर्रिसः ’अरबी-ओ-फ़ारसी महाविद्यालय, अहमदाबाद) – Amir Khusrau, Nizamuddin Auliya, Sufi Qawwali, Sufi Kalam

गुजरात में सैकड़ों उ’लमा और अत्क़िया पैदा हुए और चल बसे लेकिन गुजरात के आसमान पर दो ऐसे आफ़ताब-ओ-माहताब चमके

’अज़ीज़ सफ़ीपुरी और उनकी उर्दू शा’इरी – Amir Khusrau, Nizamuddin Auliya, Sufi Qawwali, Sufi Kalam

उर्दू की तर्वीज-ओ-इशा’अत और फ़रोग़-ओ-इर्तिक़ा में सूफ़िया-ए-किराम ने जो ख़िदमात पेश कीं वो किसी साहिब-ए-नज़र से पोशीदा नहीं। इस ज़बान

Verified by MonsterInsights