लखनऊ का सफ़रनामा – Amir Khusrau, Nizamuddin Auliya, Sufi Qawwali, Sufi Kalam
लखनऊ के मुतअ’ल्लिक़ बृज नारायण चकबस्त ने बहुत पहले कहा था : ज़बान-ए-हाल से ये लखनऊ की ख़ाक कहती है
लखनऊ के मुतअ’ल्लिक़ बृज नारायण चकबस्त ने बहुत पहले कहा था : ज़बान-ए-हाल से ये लखनऊ की ख़ाक कहती है
© 2023, IslamicNeekah. All rights reserved.