बहादुर शाह और फूल वालों की सैर-जनाब मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग देहलवी – Amir Khusrau, Nizamuddin Auliya, Sufi Qawwali, Sufi Kalam

सा’दी ’अलैहर्रहमा ने ख़ूब कहा है र’ईयत-ए-चू बीख़स्त-ओ-सुल्ताँ दरख़्त दरख़्त ऐ पिसर बाशद अज़ बीख़ सख़्त ये जड़ों ही की

Verified by MonsterInsights