नज़ीर की सूफ़ियाना शा’इरी – Amir Khusrau, Nizamuddin Auliya, Sufi Qawwali, Sufi Kalam

’इल्म-ए-तसव्वुफ़ जिसकी निस्बत कहा जाता है, बरा-ए-शे’र गुफ़्तन ख़ूब अस्त’ –मौलाना अलताफ़ हुसैन हाली “यादगार-ए-ग़ालिब” उर्दू शा’इरी की इब्तिदा में

’अज़ीज़ सफ़ीपुरी और उनकी उर्दू शा’इरी – Amir Khusrau, Nizamuddin Auliya, Sufi Qawwali, Sufi Kalam

उर्दू की तर्वीज-ओ-इशा’अत और फ़रोग़-ओ-इर्तिक़ा में सूफ़िया-ए-किराम ने जो ख़िदमात पेश कीं वो किसी साहिब-ए-नज़र से पोशीदा नहीं। इस ज़बान

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