बहादुर शाह और फूल वालों की सैर-जनाब मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग देहलवी – Amir Khusrau, Nizamuddin Auliya, Sufi Qawwali, Sufi Kalam

सा’दी ’अलैहर्रहमा ने ख़ूब कहा है र’ईयत-ए-चू बीख़स्त-ओ-सुल्ताँ दरख़्त दरख़्त ऐ पिसर बाशद अज़ बीख़ सख़्त ये जड़ों ही की

हज़रत शैख़ नजीबुद्दीन मुतवक्किल – Amir Khusrau, Nizamuddin Auliya, Sufi Qawwali, Sufi Kalam

हज़रत शैख़ नजीबुद्दीन मुतवक्किल साहिब-ए-दिल थे, आप साहब-ए-कश्फ़-ओ- करामात,सनद-ए-औलिया और हुज्जत-ए-मशाएख़-ए-वक़्त,मुशाहिदात-ओ- मक़ालात-ए-‘आली में यकता,तमाम मशाएख़-ए-वक़्त के कमालात-ए-सुवरी-ओ- मा’नवी के मक़र्र

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